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दो से चार -05-Jan-2022

भाग 5 




लव कुमार की रचना "प्रेम पत्र" को पढ़कर आशा सोच में पड़ गई कि टिप्पणी में वह क्या लिखे ? बहुत दिमाग दौड़ाया उसने पर कुछ समझ नहीं आया कि वह क्या लिखे ? अचानक उसके मन में एक सवाल कौंधा "क्या ये पत्र वास्तव में लव कुमार ने किसी को लिखा हो और उसे यहां रचना में उतार दिया हो " । यह हो भी सकता है और नहीं भी । क्या वह पूछ ले कि यह पत्र हकीकत में लिखा था या काल्पनिक है ? क्या ऐसा लिखना ठीक रहेगा ? वह इसी उहापोह में पड़ी रही । मन कह रहा था कि लिख दे मगर मस्तिष्क कह रहा था कि नहीं । आखिर मन की जीत हुई ।  उसने लिख दिया " सर, आपने यह पत्र वास्तव में किसी को लिखा था कभी या बिल्कुल काल्पनिक है " ? 


उसने भावावेश में लिख तो दिया

मगर उसे लगा कि उसने ऐसा लिखकर ठीक नहीं किया । किसी से ऐसे पूछने का कोई अधिकार नहीं है उसे । फिर उसने फटाफट से वह टिप्पणी हटा दी । अब उसे थोड़ा चैन आया । उसने टिप्पणी में कुछ नहीं लिखा बस, अपनी एक पुरानी रचना  लिख दी जो एक कविता थी । उस कविता की कुछ पंक्तियां इस तरह हैं ।


कमबख्त दिल 


ऐसा क्यों होता है 


जो दिल के पास होता है 


वह सैकड़ों मील दूर होता है 


और जो पास होता है 


वह दिल से अनजाना होता है । 


ये दिल किसी की इंतजार में 


इतना दीवाना हो जाता है 


कि कभी कभी तो यह 


धड़कना भी भूल जाता है 


खता आंखों की होती है 


और सजा कमबख्त दिल पाता है 


कोई इसे कैसे समझाए 


जिसके लिए बेचैन है 


वो पास कैसे आए 


कोई सूझे ना उपाय 


कोई तो दे बताय ।। 


और उसने यह रचना पोस्ट कर दी । 


वह बार बार "साहित्यिक एप" खोलकर देखती कि क्या उसकी कविता पर कोई समीक्षा की है किसी ने ? जब भी वह अपनी टिप्पणी को  देखती तो दो चार समीक्षाएं नजर आ जाती थी उस पर  । मगर वह समीक्षा नजर नहीं आती थी जो वह चाहती थी । लव कुमार की समीक्षा । बस, इसी का इंतजार था उसे । मगर वह नहीं आई । इससे वह खुद से थोड़ा नाराज़ भी हुई । मन ही मन उसने कहा "उसे वह कविता नहीं लिखनी चाहिए थी " । गुस्से में आकर उसने उन समीक्षाओं पर भी कोई जवाब नहीं दिया जो उसकी कविता पर आई थी । अनमने मन से वह रात को सो गई। 


सुबह जगी तो अनमने मन से उसने "साहित्यिक एप" खोला । उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब उसने देखा कि जिसका उसे इंतजार था वह चीज मिल गयी थी । लव कुमार की समीक्षा थी वहां पर । समीक्षा क्या थी चार पंक्तियां लिख दी थी उन्होंने । 


दिल तो दिल है, किसी के बस में कहां होता है 


बड़ा ही चंचल है , आज यहां कल वहां होता है 


इस दिल पर पूरा पूरा ध्यान रखिएगा मोहतरमा 


बेवफा है , पलक झपकते ही पाला बदल लेता है 


आशा खुशी से उछल पड़ी । इस मुक्तक को पढ़कर उसे लगा कि  इसका मतलब लव कुमार भी हमारी रचनाओं को पढ़ते हैं । वे न केवल पढ़ते हैं बल्कि उन पर समीक्षा भी करते हैं और वह भी धांसू वाली । क्या बात है , बड़ी तकदीर वाली है आशा, उसने सोचा । आशा ने लव कुमार के मुक्तक का  जवाब देते हुए लिखा 


सुंदर समीक्षा करने के लिए बहुत बहुत आभार आपका श्रीमान । 


दिल की बात क्या करना , दिल तो पागल है 


हम तो आपकी जादुई , लेखनी के कायल हैं 


और इसे पोस्ट कर दिया । बहुत सालों के बाद उसके मन में हलचल होने लगी थी । जबसे अनिल ने उसे धोखा दिया था तबसे उसे मर्दों से नफ़रत सी हो गई थी । मगर अब उसे मर्द वैसे नहीं लगते थे जैसे कि उसने धारणा बना ली थी । अब फिर से किसी मर्द की बातें उसे अच्छी लगने लगी थी । उसका मन कहने लगा "आज फिर जीने की तमन्ना है" ।  वह सोच रही थी कि लव कुमार जल्दी से इसे पढ़ लें और फिर उस पर कोई टिप्पणी करें । 


थोड़ी देर बाद उसने एप खोलकर देखा ।

मगर यह क्या ? उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की थी । शायद उन्होने इसे अभी तक पढ़ा ही ना हो ? पर यह कैसे पता चले कि उन्होंने इसे पढ़ा है या नहीं ? ऐसा कोई तरीका "साहित्यिक एप" पर तो नहीं था जिससे यह पता चल सके कि उसकी रचना को किसने पढ़ा है और किसने नहीं  । इसी उधेड़बुन में वह बिस्तर पर लेट गई पर नींद नहीं आई । ये कैसा खिंचाव हो रहा था उसे , कुछ समझ नहीं आ रहा था उसे । अब जबकि वह चालीस के पार हो चुकी थी , कौन सी हलचल होने लगी थी  उसके दिल में । ऐसी हलचल तो जब वह कॉलेज में पढ़ती थी तब भी नहीं होती थी । तब तो डर लगता था कि मम्मी पापा क्या कहेंगे ? मगर अब वह किसी से नहीं डरती बल्कि सब उससे डरते हैं । डर का भी बड़ा अजीब सिद्धांत है । जब तक कोई डर से डर रहा है, डर उसको और डराता है लेकिन जब वह डर का सामना‌ करने को तैयार हो जाता है तो डर कहीं किसी कोने में जाकर छुप जाता है । वस्तुत: कोई आदमी डरता क्यों है ? सीधा सा उत्तर है डर के कारण ! जब कुछ सामान , नकदी , इज्जत , खोने की संभावना हो तो आदमी डरने लगता है । और जब किसी के पास खोने के लिए कुछ नहीं हो तो फिर डर पास आने का नाम ही नहीं लेता है । 


आशा के पास अब खोने के लिए कुछ नहीं था । सबसे प्यारा इंसान "अनिल " ने खुद उसे धोखा दे दिया था , अब भगवान से भी क्या शिकायत करना ? बहुत रो ली वह अब तक । रोते रोते सूख कर कांटा हो गई थी वह । इसलिए अब उसे किसी की परवाह नहीं थी । 


जब दूसरे दिन भी कोई जवाब नहीं आया तब आशा ने मैसेज बॉक्स में जाकर लिखा "नमस्ते सर " 


दूसरे दिन वह फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली गई और लव कुमार ने भी नमस्ते लिख दिया । जब आशा ने इसे देखा तो उसने लिखा " क्या चैट कर सकते है" । उधर से जवाब आया ,हां । 


आशा का दिल बल्लियों उछल रहा था । उसे लगा कि वह अपनी मंजिल की ओर धीरे धीरे ही सही , बढ़ रही है । दिल जोर जोर से धड़क रहा था । क्या करे , क्या ना करे , कुछ भी समझ नहीं आ रहा था उसे । क्या लिखे वह ? 


आखिर में उसने लिखा " सर , आपकी सारी रचनाएं पढ़ती हूं मैं । आप बहुत अच्छा लिखते हैं । कविताएं , गजल , कहानियां , लेख सब कुछ । सब एक से बढ़कर एक होते हैं । विषय से संबंधित सामग्री , प्रस्तुतिकरण और शब्द विन्यास कमाल का होता है आपका । मैं तो फैन हो गई हूं आपके लेखन की " । और इसे पोस्ट कर दिया । 


उसका दिल बहुत जोर से धड़कने लगा था । अगर घर पर ब्लड प्रेशर मापने का यंत्र होता तो बी पी बहुत ज्यादा आता । धड़कनें भी तेज हो गई थी । बड़ा आश्चर्य हो रहा था उसे कि एक ऐसा आदमी जिसे देखा नहीं , जाना नहीं उसके लिए ये दिल क्यों धड़क रहा है ? ये क्या आफ़त आ गई है बिना बात की ? पता नहीं कौन है , कितनी उम्र का है ‌? बीवी बच्चे हैं या नहीं ? करता क्या है ? कुछ पता नहीं मगर दिल है कि धड़कने लग गया है । अब इस दिल का क्या करे वह ? उस पर तो कोई नियंत्रण नहीं है ना । शायद इसीलिए शायरों ने लिखा है कि "दिल तो है दिल , दिल का ऐतबार क्या कीजे । आ गया जो किसी पे प्यार क्या कीजे " । कोई कहता है "ये पगला है , समझाने से समझे ना " । कोई कुछ कहता है तो कोई कुछ । आशा ने भी अपने दिल की नैया लहरों के भरोसे छोड़ दी । अब शिवजी ही जानें । जो करना होगा , वही करेंगे । 


थोड़ी देर बाद मैसेज बॉक्स में लव कुमार का जवाब आ गया था " इतने अधिक मान सम्मान के लिए धन्यवाद । मैं कोई लेखक नहीं हूं । लॉकडाउन में खाली बैठा था तो लिखना शुरू कर दिया । बस , जो मन में आता है , लिख देता हूं । यह जानकर अच्छा लगा कि कोई मेरा भी "फैन" हो सकता है । हार्दिक आभार आपका मैम  " । 


आशा इसे पढ़कर खुश हो गई। हालांकि इसमें ऐसा कुछ नहीं था जिससे खुश हुआ जा सके । पर उसे खुशी क्यों हो रही थी , उसे खुद पता नहीं था । उसने फिर मैसेज किया "सर , ऐसा नहीं लगता है कि आप नये नये लेखक हैं । एक सिद्ध हस्त लेखक की तरह लिखते हैं आप । सब लोग कितने अच्छे कमेंट लिखते हैं आपकी रचनाओं में । और सभी विषयों की आपको बहुत गूढ़ जानकारी है । यह सचमुच कमाल है । सचमुच आप कमाल के हैं" । और उसने इसे पोस्ट कर दिया । 


इस प्रकार लव कुमार और आशा में बातचीत होने का सिलसिला शुरू हो गया था । धीरे धीरे वे दोनों औपचारिक से अनौपचारिक होने लगे । अब टिप्पणी भी औपचारिक नहीं होकर "मनचाही" होने लगी थी । लव कुमार आशा को लेखन की बारीकियां बताते रहते थे । उनके द्वारा सतत प्रयास करने के कारण आशा भी लिखने लग गई थी । अब वह भी अच्छी लेखिकाओं में जानी जाने लगी । 




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6 Comments

Barsha🖤👑

01-Feb-2022 09:04 PM

Nice part

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Seema Priyadarshini sahay

27-Jan-2022 09:29 PM

बहुत सुंदर भाग

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Shalu

07-Jan-2022 02:05 PM

Good

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Hari Shanker Goyal "Hari"

07-Jan-2022 02:54 PM

Thanks

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